ब्रह्माण्ड की रचना । श्रीमद् भागवत कथा 3/7

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श्रीमद्भागवत महापुराण व्याख्यान श्रृंखला की तृतीया कड़ी में, स्वामी मुकुंदानंद श्रीकृष्ण का दुर्योधन से पांडवों को पाँच गांव दे कर युद्ध को रोकने का प्रस्ताव रखना, दुर्योधन का इस प्रताव को खारिज करना, भगवान का विश्वरूप प्रकट करना , उद्धव का विदूर से भेंट , श्रीकृष्ण का विदुरानी के यहाँ भोजन करना, इत्यादि प्रसंगो का वर्णन करते हैं, और इन प्रसंगो का गूढ़ अर्थ बताते हैं। स्वामीजी इन प्रसंगो के माध्यम से, श्रीकृष्ण के भक्तवत्सलता, करुणा इत्यादि गुणों को उजागर करते हैं। इस भाग में बारह अवतार और कैसे उन्होंने पृथिवी को अपने क्षेत्र में पूनर्स्थापित किया इसका का वर्णन है। इसमें कपिल मुनि और देवहुति संवाद का भी विवरण हैं। स्वामीजी द्वारा भारत के विभिन्न राज्यों में ऑक्टूबर से मार्च अनेक कार्यकर्मो जैसे कि, आध्यात्मिक प्रवचन शृंख्ला, भक्तियोग साधना शिविर, योग शिविर, इत्यादि का आयोजन किया जाता है | आप सभी कार्यकर्मो की अधिक जानकारी हमारे वेबसाइट से प्राप्त कर सकते है |