दोष देखना बंद करें । विकास के सूत्र 5/21
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हमारी आदत सी बन गई है; ये कलियुग ख़राब है, ये मुख्यमंत्री ख़राब है, ये प्रधानमंत्री गड़बड़ है। ज़रा चेक करें कहीं ऐसा तो नहीं की हमारा स्वभाव सबसे गड़बड़ है। हमारे दुःखों का कारण ये संसार नहीं है। जो सबसे गड़बड़ चीज़ है वो है हमारा अपना ही मन। सबसे बड़ा शत्रु बहार नहीं है, सबसे बड़ा शत्रु ये काम, क्रोध, लोभ, हमारा अनियंत्रित मन जो हमारे ही भीतर है।
