मृत्यु को याद रखें । हर रोज़ इसे सुनें । Life Transformation Challenge 17/21
10 Min•Detachment
यह जीवन नश्वर है, क्षणभंगुर है, एवं किसी भी समय छिन सकता है। भगवान ने निवृत्ति के प्रतीक बनाए हैं जैसे, आँखों की रोशनी कम होना, श्रवण शक्ति का दुर्बल होना, मुख के दांत हिलने लगना, बाल सफ़ेद होने लगना, इत्यादि। ये प्रतीक इस बात का स्मरण कराते हैं, कि अब हमें सावधान हो जाना चाहिए, मृत्यु निकट ही है। हम ज्ञान तो प्राप्त कर लेते हैं किंतु, विलंब कर देते हैं। अपनी साधना में प्रभाव लाने के लिए हमें अपनी मृत्यु को पहले याद करना चाहिए तत्पश्चात भगवान को, ऐसा करने से हम विलंब नहीं करेंगे एवं भगवान की ओर अनिमेष चल पड़ेंगे। संत एकनाथ ने इसी तथ्य का प्रयोग करके एक साधक को भगवतप्राप्ति का मार्ग दर्शाया। इस मनोरम कथा के साथ इस वीडियो में यह भी जानिए कि, अपने अंतिम समय में रावण ने, राम के कहने पर लक्ष्मण को क्या उपदेश दिया।
