श्रद्धा और भाव के बिना किए गए कर्मकांड और पूजा-पद्धतियाँ मात्र शारीरिक व्यायाम है। भगवान हमारे बाहरी आचरण से अधिक, हमारे भीतर की प्रेमपूर्ण भावना को ही महत्त्व देते हैं।

श्रद्धा और भाव के बिना किए गए कर्मकांड और पूजा-पद्धतियाँ मात्र शारीरिक व्यायाम है। भगवान हमारे बाहरी आचरण से अधिक, हमारे भीतर की प्रेमपूर्ण भावना को ही महत्त्व देते हैं।

Beyond Rituals - 3 Levels of Spiritual Practice to Get Closer to Shree Krishna15 Oct 2025