निष्कामता और अनन्य प्रेम की मूर्ति गोपियाँ। गोपी गीत 3/7

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शरणागतवत्सल भगवान श्रीकृष्ण एवं उनकी प्रिय ब्रजांगनायें! इस वीडियो में गोपियाँ कहतीं हैं कि जो जीव इस भवसागर से डर कर आपकी शरण में आते हैं, उन्हें आप अभय वरदान देते हैं। भगवान श्रीकृष्ण गोपियों को संयोग और वियोग दोनों देते हैं। श्रीकृष्ण ने गोपियों को सबसे बड़ा संयोग महारास का सुख दिया। इसके साथ ही वियोग भी दिया, जहाँ वह महारास से गायब हो गये। निष्कामता क्या होती है, वह आप गोपियों के भाव से सीख सकते हैं। यही नहीं आप उसका अभ्यास कर अपनी भक्ति को विशुद्ध निष्काम बना सकते हैं। गोपियों ने हमेशा अपनी भक्ति से अनन्यता का परिचय दिया है। वह बतातीं हैं कि आपको अपने इष्टदेव के प्रति कैसे अनन्य भाव रखना चाहिए। तो आप भी गुरु अनुकंपा से मिले भक्ति के सर्वोच्च ग्रन्थ को ध्यान से सुनिए अतएव स्वामीजी के वर्णन का पान कीजिये। गोपियों के विरहगान ग्रन्थ का क्या है नाम? गोपियों के निष्काम भक्ति की क्या थी पराकाष्ठा? क्या होता है रसिक एवं सकाम भक्तों का सिद्धांत? क्या होता है निष्कामता और सकामता में अंतर?