गोपियों की अभिलाषा । गोपी गीत 6/7
41 Min•Gopi Geet
वेणु से गोपियों के चित्त को आकर्षित करने वाले मुरलीधर! गोपियाँ अब श्यामसुंदर की वेणु अर्थात मुरली के भाग्य की अत्यधिक प्रशंसा कर रहीं हैं और उसपर बलिहार जा रहीं हैं। वह कहतीं हैं पता नहीं इसने कौनसी तपस्या की कि इसे स्वयं भगवान के अधरामृत का पान करने का परम दुर्लभ अवसर प्राप्त होता है। वह इस श्लोक में वेणु की कोरी कोरी प्रशंसा करने लगीं ऐसा कहते हुए कि पता नहीं इसने कौनसे पुण्य किये हैं, जिससे निरंतर इसे भगवान का इतना घोर सानिध्य प्राप्त होता है। श्यामसुंदर इसके उत्तर में गोपियों और हम सभी को एक सीख देते हैं जो कि भक्ति की आधारशिला है, जिसके माध्यम से जीव भगवान की कृपा आकर्षित करता है। यह वही रहस्य है, जिसके माध्यम से करोड़ों सन्तों ने भगवत्प्राप्ति की और एक सामान्य जीव से महापुरुष बन गए। क्यों है श्यामसुंदर को अपनी मुरली से इतना मोह? क्या भगवान शंकर ही इस दिव्य लीला में मुरली बनकर अवतरित हुए? किस आधार पर भगवान करते हैं जीव पर कृपा? गोपियों के चित्त को आकर्षित करने हेतु कैसे करते हैं मुरलीधर वेणुनाद?
