अर्जुन के जैसे कैसे बनें ? Golden Rules 17/21
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संसार के कोलाहल में मन की एकाग्रता को बनाये रखना दिन प्रतिदिन कठिन होता चला जा रहा है। क्योंकि संसार का स्वरूप ही डिजिटल ऐज में कुछ ऐसा बन गया है। जो श्रेष्ठ कार्य पर हमें अपना ध्यान केंद्रित करना है उसमें बोरियत महसूस होती और जो लौ वैल्यू एक्टिविटीज हैं उसमें सुख मिलता है। जैसे उदहारण के रूप में आपके ईमेल का नोटिफिकेशन आया तो मन कहता है आपसे कि उसको जल्दी से पढ़ लो उसमें सुख मिलेगा। उसके कारण मन को एक किक मिलता है और परिणामस्वरूप हमारी एकाग्रता भंग हो जाती है। तो क्या कार्य करने का कोई उत्कृष्ट तरीका नहीं है? इसी का उत्तर देते हुए स्वामी मुकुन्दानन्द जी गोल्डन रूल्स सीरीज़ के इस 17वें एपिसोड में दे रहे हैं। वह कहते हैं इसके लिए अपने ध्यान की वृद्धि करनी होगी। एकाग्रता का अर्थ होता है हम अपने मन को वांछित विषय पर लंबे समय तक रख सकें। हम जिस चीज़ का ध्यान करते हैं और जिस क्वालिटी का ध्यान करते हैं इसपर हमारे जीवन की गुणवत्ता निर्भर करती है। एकाग्रता न होने के दो प्रमुख कारण स्वामीजी बताते हैं। एक हमारे मन की भोग प्रवृत्ति और दूसरा है नोवेल्टी बायस। इन दो समस्याओं का समाधान देते हुए स्वामीजी कहते हैं जीवन में हमें अभ्यास द्वारा इन्हें धीरे धीरे कर के अपने नियंत्रण में लाने का प्रयास करना होगा। साथ ही ध्यान को विकसित करने हेतु वह मोबाइल और सोशल मीडिया डिटॉक्स की भी सलाह देते हैं। ध्यान करने के सार को और गहराई से समझने के लिए वीडियो को शुरू से अंत तक अवश्य देखिए।
