क्यों हुआ सूर्य पुत्र कर्ण का जन्म ? Golden Rules 19/21
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परदोष दर्शन करने से अपने मन से रहें सचेत! मनुष्य का चरित्र इस वर्तमान आधुनिक युग में बहुधा खुद के दोष पर न ध्यान देकर दूसरों के दोषों की गिनती रखने में अधिक विश्वास रखता है, जिसे नुक्ताचीनी कहते हैं। हमारे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हमारी अधिकांश बातचीत दूसरों में कमी निकालने, वृथा अपवाद करने या गॉसिप करना होती है। यह जानते हुए भी कि जो चर्चा हम कर रहे हैं, वह गर्हणीय है फिर भी उसको बेधड़क दिनरात करते जाते हैं। ऐसा इसीलिए है क्योंकि हमारे मायिक मन को दूसरों की निंदा करने में किंचित सुख मिलता है। लेकिन इससे हमारा ही मन गंदा होता है, जो आध्यात्मिक उन्नति में हमारा सबसे बड़ा रोड़ा बन सकता है। तो इस निंदनीय कार्य से बचने हेतु फॉल्ट फाइंडर के बजाए गुड फाइंडर बनने का अभ्यास कीजिए और इस वीडियो को अंत तक देखिए। परदोष दर्शन से कैसे बचें? कैसे करें गॉसिप से खुद को दूर? जानिए कैसे देखें दूसरों में गुण? मन को कैसे करें शुद्ध?
