गोस्वामी तुलसीदास - जीवनी एवं शिक्षा । Goswami Tulsidasji's life and teachings
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तुलसीदासजी की लेखनी ने कलियुग में मचाई "राम नाम" की धूम! "मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम" का जब भी नाम आता है तो उसके साथ "रामायण" और "रामचरितमानस" का भी वर्णन करना आवश्यक हो जाता है। रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने विशुद्ध संस्कृत भाषा में की थी। किन्तु राम रस में जन साधरण को डुबोने के लिहाज से भगवान श्रीराम के अग्रणी भक्तों में से एक गोस्वामी तुलसीदासजी ने "रामचरितमानस" की रचना की। इस कारण से उनका योगदान अतुल्य और अविस्मरणीय है। उनके द्वारा अवधि भाषा में लिखा गया यह ग्रंथ मानव मात्र के लिए श्रीराम की लीला का खजाना है, जिसका पान करके सैकड़ों जीवात्माओं ने अपना उद्धार किया। गोस्वामी तुलसीदासजी ने भक्ति आन्दोलन में विशेष भूमिका निभाई, जिसके दौरान उनपर कई घातक अत्याचार भी हुए। खासकर, कलियुग में राम नाम का प्रचार-प्रसार करने में तुलसीदासजी का नाम हमेशा के लिए अमर रहेगा। तो ऐसे महापुरुष के सम्पूर्ण चरित्र से सीख, ज्ञान, प्रेरणा और भक्ति का पान करने हेतु स्वामीजी की वाणी का श्रवण करें।
