महारास के समय एक राक्षस का आना । गोपी गीत 2/7
41 Min•Gopi Geet
गोपियों के विरहगान की तीव्र एवं निष्काम गूँज! इस वीडियो में स्वामीजी अपने मुखारविंद से गोपी गीत के अर्थ का वर्णन कर रहे हैं। वह बताते हैं कि कैसे गोपियों में श्रीकृष्ण के विरह की अग्नि जल रही थी, जो वास्तव में अति प्रबल, दिव्य और अवर्णनीय थी। यह गोपी गीत अनंत गोपियों का विरह गान है, जो वे महारास के बाद श्रीकृष्ण के अंतर्ध्यान हो जाने के बाद श्रीराधा रानी के साथ मिलकर गाती हैं। यहाँ वे भक्ति के सर्वोच्च गुणों अर्थात अपने निष्काम प्रेम, भाव और समपर्ण युक्त होकर श्रीकृष्ण को पुकार रहीं हैं। यह गीत 19 श्लोकों से सुज्जित है, जिसके रसपान की कल्पना हरि/गुरु की अकारण कृपा के बिना असंभव है। तो आप भी इस वीडियो से प्रेरणायुक्त होकर गोपी प्रेम की याचना करते हुए भगवान श्रीकृष्ण को अपना जीवन समर्पित कर सकते हैं।
जानें:
गोपी गीत में कुल कितने श्लोक हैं?
गोपियों ने कैसे व्यक्त की अपने निष्काम प्रेम की पुकार?
शास्त्रों के अनुसार कौन है सबसे सर्वश्रेष्ठ गोपी?
क्या है गोपियों के विरहगान का अर्थ?
