दूसरों से स्वयं की तुलना करने के नुकसान । Golden Rules 12/21
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वास्तविक सफलता का अर्थ है अपना श्रेष्ठतम संस्करण बनना। किंतु हम लोग अक्सर दूसरों से तुलना करने में लग जाते हैं। इसके अनुसार अपनी सफलता और असफलता को नापने लग जाते हैं। जिस कारण से हम दुखी भी हो जाते हैं। स्वामी मुकुन्दानन्द गोल्डन रूल्स फ़ॉर लिविंग योर बेस्ट लाइफ के इस 12वें एपिसोड में दूसरों से स्वयं की तुलना करने के नुकसान और फायदे बताते हैं। एक उदहारण देते हुए वह कहते हैं कि रमेश और दिनेश एक ही कॉलेज में गए। जब 10 साल के बाद दोनों मिले तो रमेश ने देखा कि दिनेश लिमोजिन गाड़ी चला रहा है और सोचने लगा कि मेरे पास तो सेंट्रो गाड़ी है। अब वह इस बात से दुखी हो गया। लेकिन उसको यह नहीं पता कि लिमोजिन दिनेश की नहीं वरन उसके बॉस की है और वह तो गाड़ी का महज़ ड्राइवर है। रिसर्च कहता है कि मनुष्य के 10% विचार तुलना के संबंध में ही होते हैं। इस कारण से एक दूसरा भाव उत्पन्न हो जाता है, जिसे आज हम FOMO (फियर ऑफ मिसिंग आउट) कहते हैं। यह ऐसा भाव है कि व्यक्ति को लगता है कि जीवन में कोई अतिआवश्यक चीज़ है जो दूसरों के पास है लेकिन मेरे जीवन में उसकी कमी है। आजकल सोशल मीडिया के युग में FOMO का भाव बड़ी तीव्रता से युवाओं के बीच फैल रहा है। आजकल युवावर्ग में डिप्रेशन का प्रमुख कारण FOMO ही बन गया है। इसके विप्रति श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता में समझाया "अर्जुन, दूसरे के धर्म का ठीक ठीक प्रतिपादन करने से अच्छा है स्वयं के धर्म का त्रुटिपूर्ण पालन करना।" कभी कभी तुलना करना लाभदायक भी है लेकिन उसमें आप तुलना के बजाये दूसरे की सफलता से प्रेरणा लें और श्रेष्ठ समय संतुष्ट रहना सीखें।
