भगवान की कृपा पाने का सरल उपाय | शरणागति का रहस्य - 1/28
11 Min•Sharanagati
"ऐ जीव ! मंदिर में जब तुम जाते हो प्रार्थना करते हो ना “त्वमेव माता च पिता त्वमेव” हे भगवान ! आप ही मेरी माँ है आप ही मेरे पिता है । किन्तु ये भाव क्या तुम्हारे अंतःकरण में है की भगवान ही मेरे पिता हैं ? तुम्हारा अंतःकरण तो ये भाव बनाए हुए है मेरे असली पिता घर में है, उनकी property में मेरा हिस्सा है मिलेगा । भगवान के तो कभी दर्शन नहीं किए पिता होंगे लेकिन 2 percent भगवान कहते हैं, ऐ जीव ! मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ की तू मेरी शरण में आजा ।"
भगवान की कृपा पाने हेतु शरणागति अनिवार्य है। इसीलिए शरणागति का तात्पर्य जानना आवश्यक है। शरणागति की आवश्यकता क्योँ है ? उससे किस चीज़ की प्राप्ति होती है ? एवं शरणागत होने का क्या उपाय है ? 'शरणागति का रहस्य' नामक इस नई प्रवचन श्रृंखला में हम इन सब प्रश्नों का उत्तर समझेंगे ।
