भगवान राम का अवतरण क्यों हुआ? । रामायण 10/38

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थोड़ी श्रद्धा, थोड़ा संशय" — जब भक्ति में श्रद्धा अधूरी हो और मन में संशय बना रहे, तो साधक वहीं का वहीं रह जाता है। इस प्रवचन में स्वामीजी बताते हैं कि श्रद्धा भक्ति का पहला कदम है। जब तक भगवान में हमारा विश्वास और निश्चय पूर्ण नहीं होगा, हम भक्ति में आगे नहीं बढ़ पाएँगे। भक्ति बुद्धि का विषय नहीं है, यह तो श्रद्धा और प्रेम का मार्ग है। भगवान राम का अवतरण एक दिव्य अवतार था। भगवान ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए अनेक लीलाएँ रचीं। दिव्य अवतार का उद्देश्य भक्तों को भक्ति का आनंद प्रदान करना होता है। "राम" शब्द का अर्थ है — "आनंद सिंधु" अर्थात् आनंद का महासागर। जो निर्गुण, निराकार, अदृश्य और अजन्मा है, वही भक्तों के प्रेम के कारण सगुण होकर प्रकट होता है। “Kuch shradha kuch shanshay”, little devotion and little doubt keeps us at square one. In this episode Swamiji emphasizes that faith is the stepping stone of devotion, if our resolve and faith in God is not absolute we will not progress in devotion. Devotion is not a matter of intellect, but of faith and love. The avatar or birth of Lord Ram was a divine descension. God has become incarnate and performed many ‘Leelas’, for the good of his devotees.The purpose of divine descension is to give the devotees the bliss of devotion. The word Ram means- ‘anand sindhu’ ocean of bliss. That which is attributeless and formless, invisible and unborn, becomes qualified out of love for his devotees.
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