श्रीमद् भागवत महात्मय । श्रीमद् भागवत कथा 1/7
1 Hr 30 Min•Bhagavatam
श्रीमद्भागवत महापुराण व्याख्यान श्रृंखला की पहली कड़ी में, स्वामी मुकुंदानंद कहते हैं कि सभी वैदिक शास्त्र में, श्रीमद् भागवत महापुराण अद्वितीय है । वेद, निश्चित रूप से, सर्वोच्च हैं परन्तु श्रीमद् भागवत महापुराण वैदिक शिक्षाओं के सार की तरह है, जिसे स्वयं वेद व्यास ने लिखा है। इस श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान और उनके भक्तों के सभी दिव्य लीलाओं के साथ वेदों और उपनिषदों का ज्ञान इतने रसमय तरीके से प्रस्तुत किया गया है, कि भागवत कथा सुनना अपने आप में एक अनुभव बन जाता है। यह न केवल हमारी बुद्धि को दिव्य ज्ञान से प्रकाशित करता है, यह हमारे दिल को भी छू लेता है और उन्हें दिव्य प्रेम के अमृत से भर देता है। इसीलिए कहा जाता है कि इस श्रीमद्भागवत महापुराण में कुछ ऐसा है जो वेदों में भी नहीं है। उपनिषदों में दिव्य ज्ञान है, लेकिन उनके पास दिव्य प्रेम का आनंद नहीं है और श्रीमद् भागवत महापुराण में दोनों हैं।
स्वामीजी कहते हैं, आपमें से कई भारत के पवित्र स्थानों पर गए हैं। जब आप किसी पवित्र स्थान पर जाते हैं, तो पंडित जी आपको उस स्थान के महात्म्य से अवगत कराते हैं। इसलिए, जब किसी के मन में महात्मय होता है, तो व्यक्ति को महत्त्व का अनुभव होता है, और उस स्थान से अधिक भक्ति, आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। इसी प्रकार से श्रीमद्भागवत महापुराण आरम्भ करने से पहले उसकी महात्मय को समझना आवश्यक है। स्वामीजी द्वारा भारत के विभिन्न राज्यों में ऑक्टूबर से मार्च अनेक कार्यकर्मो जैसे कि, आध्यात्मिक प्रवचन शृंख्ला, भक्तियोग साधना शिविर, योग शिविर, इत्यादि का आयोजन किया जाता है | आप सभी कार्यकर्मो की अधिक जानकारी हमारे वेबसाइट और Swami Mukundananda App से प्राप्त कर सकते है।
