दूसरों के कारण परेशान होने वाले लोग ये विडियो देखें । Golden Rules 11/21
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हम संबंधो को अक्सर स्वार्थ से भर देते हैं। साथ ही उम्मीदें बना लेते हैं दूसरा व्यक्ति हमारे लिए ऐसा करे ऐसा न करे। जब उस व्यक्ति के विचार और व्यवहार हमारी उम्मीदों के अनुसार नहीं होते तब हम उदास होकर रुष्ट हो जाते हैं। स्वामी मुकुन्दानन्द गोल्डन रूल्स फ़ॉर लिविंग योर बेस्ट लाइफ के इस 11वें एपिसोड में संबंधो को मधुर और श्रेष्ठ बनाने के विचार पर प्रकाश डालते हैं। स्वामीजी कहते हैं कि हम लोग दूसरों के प्रति जज का रूप धारण कर लेते हैं लेकिन जब खुद गलती करते हैं तो वकील बनकर अपनी गलती को नजरअंदाज कर देते हैं। वहीं वह कहते हैं कि महान आत्माएं जैसे संत और गुरु ठीक इसके विपरीत व्यवहार करते हैं। स्वामीजी कहते हैं कि हमें दूसरों के प्रति जजमेंटल दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए। साथ ही वह बताते हैं कि रिश्तों में मिठास लाने के लिए स्वार्थ नहीं बल्कि त्याग की भावना रखें। इस गोल्डन रूल को स्वामीजी ने एक सुंदर कहानी का विवरण कर हमें समझाया। एक पति पत्नी रहते थे, जिनकी शादी के कुछ वर्ष बाद ही पत्नी को चर्म रोग हो गया। वह दिन-पर-दिन कुरूप होती जा रही थी। एक बार पति यात्रा पर गया हुआ था कि उसका एक्सीडेंट हो गया और वह अंधा हो गया। पर पत्नी ने पति की सेवा खूब निष्ठापूर्वक की। मगर कुछ समय बाद पत्नी का देहांत हो गया। जब पति उसकी अन्त्येष्टि क्रिया कर घर लौटा तो उसके दोस्त ने कहा अब तुम्हारा जीवन निर्वाह कैसे होगा तुम तो अंधे हो? पति ने कहा मैं अंधा नहीं हूँ। मेरी पत्नी को कष्ट न पहुंचे कि मेरे पति मुझे कुरूप होते हुए देख रहे
