जो हम पूजा-पाठ करते है वो भगवान को स्वीकार है या नहीं, कैसे जाने ? Golden Rules 21/21
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कामनाओं से नहीं वरन भगवान से करें निष्काम प्रेम! भारतवर्ष में अधिकांश लोग भगवान की पूजा-पाठ और भक्ति में तल्लीन रहते हैं। लेकिन फिर भी लोग दुख और कष्ट सहन कर रहे हैं और उनका अंतःकरण शुद्ध नहीं हो रहा। इसका उत्तर स्वामी मुकुन्दानन्द जी इस वीडियो में देते हुए कहते हैं कि जो भक्ति आपको बाहर से ईश्वर की उपासना लगती है, वह दरअसल हमारे ही कामनाओं की भक्ति है। हम भगवान के सुख के लिए नहीं वरन् अपने ही स्वार्थ की सिद्धि करने हेतु मंदिर जा कर उनसे प्रार्थना करते हैं। इसे निष्काम भक्ति नहीं कही जाएगी, जिसे करने के लिए संतों ने हम जीवों को सलाह दी। भगवान से निष्काम प्रेम और उनकी सेवा करने के लिए इस वीडियो को अंत तक देखिए और इस चैनल के साथ बने रहिये। कैसे करें निष्काम भक्ति? कामना क्यों करती है आपके मन को व्याकुल? क्या है निष्काम भक्ति के लाभ? कैसे होगा अंतःकरण शुद्ध?
