इतने सारे भगवान, किसकी पूजा करूँ?
16 Min•Devotion
अनन्य भक्ति का सार: इस प्रेरणादायक प्रवचन में, स्वामीजी अनन्य भक्ति का गहनता से वर्णन करते हैं—भगवान के प्रति अनन्य और एकमात्र भक्ति का मार्ग। वह यह समझाते हैं कि कैसे हमें अपना मन और हृदय पूरी तरह से भगवान पर केंद्रित करना चाहिए और सांसारिक आकर्षणों से दूर रहना चाहिए। स्वामीजी सरल उदाहरणों और दृष्टांतों के माध्यम से बताते हैं कि सांसारिक इच्छाओं के साथ भक्ति को मिलाने से हमारी आध्यात्मिक यात्रा कमजोर हो सकती है। इस प्रवचन में आप सीखेंगे कि भगवान को सच्चे अर्थों में समर्पण का क्या अर्थ है। स्वामीजी भगवद गीता के श्लोकों, प्राचीन शास्त्रों की शिक्षाओं और संत तुलसीदास के विचारों का संदर्भ देते हुए समझाते हैं कि किस प्रकार पूर्ण रूप से भगवान के प्रति समर्पित होकर हम परम शांति और आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप अपनी आध्यात्मिक साधना को गहरा करना चाहते हैं, तो यह वीडियो आपके लिए आवश्यक है, ताकि आप यह जान सकें कि शुद्ध, अटूट भक्ति कैसे विकसित की जा सकती है।
