मनुष्य को कर्म का फल क्यों भोगना पड़ता है ? कर्म - 2
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स्वामी मुकुन्दानन्द जी ने इस वीडियो में क्या हमारे कर्म भगवान कराता है? इस संशयात्मक विषय को स्पष्ट रूप से हमें समझाया और हमें भगवद्ज्ञान देकर अपनी असीम कृपा की। स्वामीजी ने कहा कि हम भगवान को तब ही प्राप्त कर पाएंगे जब वह कृपा करेंगे। तो कुछ लोग सोचते हैं कि जो साधना हम कर रहे हैं, अब उसे बंद कर देना चाहिए और हमें उनकी कृपा की प्रतीक्षा करनी चाहिए। लेकिन कुछ लोग सोचते हैं कि भगवान ही हमसे सारें कर्म कराता है। हम तो बस उसके हाथ में कठपुतली हैं। जैसे दुर्योधन ने कहा था कि मैं जानता हूँ कि क्या सही है और क्या गलत। लेकिन मेरे अंदर बैठा देवता मुझसे यह सब करवाता है तो मैं करता हूँ। इसमें मेरा क्या दोष? अगर ऐसा होता तो भगवान श्रीकृष्णचंद्र अर्जुन को गीता का ज्ञान क्यों देते? तो भगवान करता इस रूप से हैं कि वह हमें कर्म करने की शक्ति प्रदान करते हैं। क्योंकि हमारी इंद्रियां, मन और बुद्धि जड़ हैं। तो भगवान हमारी आंखों को देखने की शक्ति देते हैं, कानों को सुनने की शक्ति देते हैं इत्यादि। अब उस शक्ति का उपयोग हम फ़िल्म देखने में करें या मंदिर में भगवान जगन्नाथ का श्रीविग्रह देखने में यह हमारी स्वतंत्र इच्छा पर निर्भर करता है। इसके लिए भगवान को दोष न दें।
