अहंकार भक्ति में बाधक | शरणागति का रहस्य - 11/28
10 Min•Sharanagati
हम लोग, कोई भी अच्छा कार्य करें, तो एक बीमारी लग जाती है। मैंने ऐसा किया। इसे कहते हैं - “कर्तित्त्वाभिमान”। तो शरणागति में, कर्तित्व अभिमान का त्याग करना हैं। अर्थात, हम समर्पण करें, लेकिन अहंकार न रखें। मैनें शरणागति की, मैं इतना बढिया हूँ, वो मुझसे नीचे हैं। ये अहंकार यदि शुभ कार्य का भी आ गया, तो शरणागत भाव को नष्ट कर देता है।
भगवान की कृपा पाने हेतु शरणागति अनिवार्य है। इसीलिए शरणागति का तात्पर्य जानना आवश्यक है। शरणागति की आवश्यकता क्योँ है ? उससे किस चीज़ की प्राप्ति होती है ? एवं शरणागत होने का क्या उपाय है ? 'शरणागति का रहस्य' नामक इस नई प्रवचन श्रृंखला में हम इन सब प्रश्नों का उत्तर समझेंगे ।
