क्या सब कुछ ईश्वर की इच्छा से होता है? | शरणागति का रहस्य - 20/28
11 Min•Sharanagati
संतुष्ट हो जाना संसार में अच्छी बात है। तुमको जो धन मिला, जो पति या पत्नी मिले, जो भोजन मिला, उसमें संतुष्ट रहो। जो भगवान ने दिया वो ही ठीक है। किंतु ईश्वरीय क्षेत्र में, अपने जप में, दान में, स्वाध्याय में, कभी संतुष्टि मत करो।
अगर हम संतुष्ट हो जाएँगे, तो फिर हम कहेंगे भई अब और प्रयत्न क्या करना ? यानी, अपनी अध्यात्मिक उन्नति में बाधा आ जाएगी। जब भगवान ही कराएगा, तो मैं परिश्रम क्यों करूँ ? ये सोच कर, हमारा प्रयत्न या तो शिथिल हो जायेगा, या बंद ही हो जायेगा।
भगवान की कृपा पाने हेतु शरणागति अनिवार्य है। इसीलिए शरणागति का तात्पर्य जानना आवश्यक है। शरणागति की आवश्यकता क्योँ है, उससे किस चीज़ की प्राप्ति होती है एवं शरणागत होने का क्या उपाय है, 'शरणागति का रहस्य' नामक इस नई प्रवचन श्रृंखला में हम इन सब प्रश्नों का उत्तर समझेंगे ।
