शरणागति का रहस्य वही जान पाता है जो अपने अहंकार को छोड़कर ईश्वर की इच्छा में समर्पित हो जाता है। इस श्रृंखला में स्वामी मुकुंदानंद जी समझाते हैं कि सच्ची शरणागति का अर्थ भागना नहीं, बल्कि भगवान पर पूर्ण विश्वास और निर्भरता का भाव विकसित करना है। जब मनुष्य अपने प्रयासों को ईश्वर की कृपा से जोड़ देता है, तभी जीवन में शांति, शक्ति और दिव्य आनंद का प्रस्फुटन होता है।